चित्तौड़गढ़ घूमने की संपूर्ण जानकारी ( All Tourist visiting Places in Chittorgarh fort)

हमारे प्रिय पाठक आपको प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में इस लेख में हम उदयपुर से 111 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चित्तौड़गढ़ घूमने की संपूर्ण जानकारी देंगे अतः आपसे अनुरोध है कि आप इस लेख को अंत तक पढ़ें |

चित्तौड़गढ़ घूमने की संपूर्ण जानकारी ( All Tourist visiting Places in Chittorgarh fort)

चित्तौड़गढ़ घूमने की संपूर्ण जानकारी - All Tourist Places In Chittorgarh 

चित्तौड़गढ़ की एक झलक (Chittorgarh in Hindi): 

  • मेरे प्रिय पाठक चित्तौड़गढ़ अपने प्राचीन स्मारक ,विरासत और अपनी राजशाही की वजह से आज भी अपने त्याग और वीरता के इतिहास को बताता है |इस शहर का प्रमुख आकर्षण केंद्र चित्तौड़गढ़ का किला है जो यह 180 मीटर ऊंचाई पहाड़ी पर स्थित है| चित्तौड़गढ़ का इतिहास बहुत सारी लड़ाइयों का गवाह है यहां पर अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए रानी पद्मिनी के साथ सैकड़ों वीरानियों ने इस चित्तौड़गढ़ में जौहर किया है ,इसलिए इसे जौहर का गढ़ भी कहा जाता है | 
  • चित्तौड़गढ़ राजस्थान राज्य का चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है| यह प्राचीन समय में मेवाड़ की राजधानी था |महाराणा प्रताप सिंह भारत के महान वीर यही के राजा थे ,इसलिए इसे महाराणा प्रताप का गढ़ कहा जाता है |चित्तौड़गढ़ लगभग 700 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है जो यह अपने शानदार किले, मंदिरों,दुर्ग और महलों के लिए जाना जाता है 

चित्तौड़गढ़ का इतिहास - Chittorgarh History in Hindi:

  • चित्तौड़गढ़ त्याग और बलिदान कि उन सैकड़ों कहानियों का गवाह है जो अपने अतीत पर चित्तौड़गढ़ को अभिमान होता है |चित्तौड़गढ़ की नींव मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी द्वारा रखी गई थी। चित्तौड़गढ़ शहर राणा कुंभा, राणा साँगा, महाराणा प्रताप, और राणा रतन सिंह, रानी पद्मिनी और रहस्यवादी कवयित्री और भगवान कृष्ण, मीराबाई के भक्त सहित राजपूत वंशों के शासकों के लिए जाना-जाता है।चित्तौड़गढ़ महाभारत काल में महाबली भीम से भी तालुकात रखता है |मुगल काल में अकबर ने 1567 में चित्तौड़गढ़ पर हमला करके कब्जा कर लिया था उस समय उदय सिंह ने इसका विरोध तक नहीं किया और पलायन कर गए उस समय नया शहर उदयपुर बसाया | 
  • चित्तौड़गढ़ पर कई बार आक्रमण किए गए यहां पर वीरांगनाओं की प्रथा थी कि चित्तौड़गढ़ का राजा जब युद्ध में परास्त हो जाता था तो वहां की वीरांगना जौहर का रास्ता अपना  लेती थी अपनी मान सम्मान की रक्षा के लिए यह किसी के सामने घुटने नहीं टेके थे |
  • सबसे पहले यहां 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था तब राणा रतन सिंह की पत्नी रानी ‘पद्मावती’ ने युद्ध में अपने पति की जान जाने के कारण जौहर किया था अपने मान सम्मान के लिए उसके बाद 1537 में रानी कर्णावती ने जौहर किया | 

चित्तौड़गढ़ पर कब किसने हमला किया-

Battle Of Chittodgarh :

  • चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण तो कई बार हुए पर इस किले और राजपूत के पराक्रम के आगे यहां कोई दुश्मन टिक नहीं पाया |इतिहासकारों का कहना है कि 7वीं से 16वीं  में शताब्दी के बीच इस राज्य को तीन बार लूटा गया-
  1. प्रथम बार 1303 में अलाउद्दीन खिलजी राणा रतन सिंह को धोखे से हराकर चित्तौड़गढ़ को अपने कब्जे में कर लिया था|
  2. उसके बाद 1534 में गुजरात के राजा बहादुर शाह ने इस किले को घेर कर महाराजा विक्रमाजीत को पराजित किया था |
  3. 1567 में मुगल बादशाह अकबर ने महाराणा प्रताप पर 3 बार आक्रमण करने के बाद इस किले पर अपना शासन कायम किया |

 

 चित्तौड़गढ़ शहर के प्रमुख पर्यटक स्थल - Best tourist place Chittorgarh in Hindi :

 -चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल-

1. चित्तौड़गढ़ का किला - Chittorgarh Fort History in Hindi:

  • चित्तौड़गढ़ का किला भारत के राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिला में स्थित है| इसका निर्माण सातवीं शताब्दी में मौर्य शासकों के द्वारा यह बनवाया गया | भारत का सबसे विशाल किला है जिसके निर्माण और इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है|चित्तौड़गढ़ का किला गंभीरी नदी के पास तथा अरावली पर्वत पर लगभग 180 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है |यह किला राजपूतों के शौर्य का प्रतीक माने जाने वाले विशाल दुर्ग के अंदर कई ऐतिहासिक स्तंभ ,पवित्र मंदिर ,विशाल द्वार इत्यादि बने हुए हैं जो इस किले की शोभा बढ़ाते हैं| 

चित्तौड़गढ़ किले के अंदर बनी शानदार संरचनाएं एवं प्रमुख आकर्षण -

  • विजय स्तंभ
  • कीर्ति स्तंभ
  • राणा कुंभा महल 
  • रानी पद्मिनी महल 
  • मीरा बाई मंदिर 

2. चित्तौड़गढ़ का विजय स्तंभ - Chittorgarh Vijay Stambh in Hindi:

  • विजय स्तंभ को विजय टावर के रूप में भी जाना जाता है | यह स्तंभ चितौड़गढ़ के प्रतिरोधक का एक टुकड़ा है जिसका निर्माण मेवाड़ के राजा राणा कुंभा ने 1448 में महमूद खिलजी की मालवा और गुजरात की संयुक्त सेना पर अपनी विजय का जश्न के रूप में मनाया था यह स्तंभ  इतना विशाल है कि यहां से आप शहर के हिस्से को आसानी से देख सकते हैं| विजय स्तंभ की ऊंचाई लगभग 37 मीटर है तथा 9 मंजिलों से बना है |इस स्तंभ में हिंदू देवी देवताओं के चित्रों को बनाया गया है |विजय स्तंभ राजस्थान पुलिस और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीक चिन्ह है|

 

3. चित्तौड़गढ़ का कीर्ति स्तंभ - Chittorgarh Kirti Stambh in Hindi :

  • कीर्ति स्तंभ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले के अंदर बना हुआ है, यह 22 मीटर लंबा स्तंभ है |जिसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ |कीर्ति  स्तंभ का निर्माण जैन व्यापारी बघेर वंशीय शाह जीजा द्वारा राजा रावल कुमार सिंह के शासन काल के समय किया गया था |प्रीति स्तंभ के पास ही समकालीन महावीर स्वामी को समर्पित जैन मंदिर भी बना हुआ है |यह स्मारक जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है |
  • इतिहासकारों के अनुसार एक बार  स्तंभ  पर बिजली गिर गया था, जिसके कारण  इसका  ऊपर  का मंजिल गिर गया था | उस समय के तत्कालीन महाराणा फतेह सिंह जी ने स्तंभ को ठीक करवाया था |इस स्तंभ के ऊपरी मंजिल में जैन धर्म से संबंधित सैकड़ों अद्भुत मानवीय कृतियों को बनाई गई है |कीर्ति स्तंभ को कुछ लोग “टावर ऑफ़ फ्रेम” भी कहते हैं|

4. चित्तौड़गढ़ का राणा कुंभा महल - Chittorgarh Rana Kumbha’s Palace in Hindi:

  • राणा कुंभा महल चित्तौड़गढ़ की एक ऐसा स्थान है जहां पर राणा कुंभा रहते थे |उन्होंने अपना जीवन काल यही बिताया |यह महल पर्यटकों के लिए एक बहुत ही अच्छा आकर्षण का केंद्र है |महल के पास भगवान शिव का मंदिर है और यहां पर लाइट साउंड शो पर्यटकों के लिए बेहद यादगार पल रहता है|
  • महाराणा कुंभा सन 1433 से 1468 तक मेवाड़ के राजा थे |इनका भारत के राजाओं में बहुत ऊंचा स्थान था| महाराणा कुंभा को चित्तौड़गढ़ दुर्ग का आधुनिक निर्माता भी कह सकते हैं क्योंकि इन्होंने ही इस दुर्ग का अधिकांश भाग का निर्माण अपने समय में कराया |

5. चित्तौड़गढ़ का रतन सिंह पैलेस - Chittorgarh Ratan Singh Palace in Hindi:

  • रतन सिंह पैलेस चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है| यहां स्थित रत्नेश्वर झील इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है जो पर्यटक इस महल की सैर करने के लिए आते हैं वह यहां की वास्तु कला ,प्रवेश द्वार, विशाल दीवारें ,भव्य प्रांगण ,अन्य सभी स्थानों को देखकर हैरान रह जाते हैं |
  • राणा कुंभा पैलेस से 1 किलोमीटर की दूरी पर तथा चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर रतन सिंह पैलेस चित्तौड़गढ़ किले में स्थित एक ऐतिहासिक महल है|
  • महाराणा रतन सिंह द्वितीय राणा सांगा का पुत्र था | रतन सिंह अपने पिता की मृत्यु के बाद बहुत ही कम समय में महाराणा के रूप में कार्य किया महाराणा रतन सिंह द्वितीय अपने जीवन काल के दौरान चित्तौड़गढ़ किले के भीतर एक रॉयल परिवार के लिए सर्दी निवास के रूप में खूबसूरत महल  बनवाया |

6. चित्तौड़गढ़ का पद्मीनी पैलेस - Chittorgarh Padmini Palace in Hindi:

  • पद्मीनी पैलेस चितौड़गढ़ किले में स्थित है यह बहादुर पद्मिनी रानी का घर था |यह पैलेस साहस और शान की कहानी को बताता है |इस महल के पास एक सुंदर सरोवर है ऐसा कहा जाता है कि  सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी का प्रतिबिंब की झलक इसी सरोवर में देखा था उनकी सुंदरता को देखकर उनको पाने की इच्छा हो गया अंत में युद्ध भी हुआ |रानी पद्मिनी ने जौहर किया अपनी सम्मान के रक्षा के लिए | इस महल की वास्तुकला अद्भुत है यह पर्यटकों को बहुत पसंद आता है इसके पास में एक मंदिर भी है |

 

7. चित्तौड़गढ़ में पर्यटक महासती (जौहर) - Chittorgarh Me Maha sati in Hindi:

  • चित्तौड़गढ़ पर कई बार आक्रमण किए गए युद्ध में जब राजा परास्त हुआ करते थे तब वहां की वीरांगनाओं ने जौहर का रास्ता चुना करती थी अपनी आन बान की रक्षा के लिए| इसलिए यह जगह बहुत ही खास है| यह हिम्मत वीरता राष्ट्रप्रेम तथा महिलाओं और बच्चों के बलिदान का सर्वोच्च उदाहरण है इस राज्य के सैनिक महिलाएं बच्चे वहां के राजाओं ने कभी भी मुगल शासकों के सामने घुटने नहीं टेके इसके बजाय उन्होंने अपनी जान की कुर्बानी देना सही समझते थे | गौमुख कुंड के पास ही है महासती स्थल | 

8. चित्तौड़गढ़ के पर्यटन में फतेह प्रकाश पैलेस - Chittorgarh Ke Paryatan Me Fateh Prakash Palace in Hindi:

  • फतेह प्रकाश पैलेस महाराणा फतेह सिंह द्वारा निर्मित किया भव्य आधुनिक ढंग से बना हुआ महल है | इस महल का नाम फतेह सिंह के नाम पर रखा गया है |अब इस महल के बड़े हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है |

9. चित्तौड़गढ़ का धार्मिक  तीर्थ स्थल गौमुख कुंड - Chittorgarh Ka Dharmik Tirthsthal Gomukh Kund in Hindi:

  • चित्तौड़गढ़ किले के भीतर गौमुख कुंड को चित्तौड़गढ़ का तीर्थराज के रूप में पर्यटक मानते हैं | यहां जब कोई आता है तो अपनी यात्रा पूरा करने के बाद इस गौमुख कुंडआते हैं गोमुख का अर्थ होता है गाय का मुंह इसलिए इसका नाम गौमुख कुंड रखा गया है क्योंकि यह गाय के मुंह की आकार से पानी बहता है |किले के पश्चिम भाग में स्थित है गौमुख कुंड |

 

10. पुरातत्व संग्रहालय चित्तौड़गढ़ - Archaeological Museum of Chittorgarh:

  • चित्तौड़गढ़ का संग्रहालय बम वीर की दीवारों के पूर्वी सिरे पर स्थित है अगर आपको इतिहास में रुचि है तब को यहां पर घूमने जरूर जाना चाहिए इस संग्रहालय में कई ऐतिहासिक कलाकृतियां चित्र और मूर्तियां है जो राजपूत शासकों के शासनकाल में बनी थी इस संग्रहालय में कुछ वस्तुएं मौर्य और गुप्त काल की भी हैं |

                 -चित्तौड़गढ़ के धार्मिक पर्यटक स्थल- 

11. चित्तौड़गढ़ का कालका माता मंदिर - Chittorgarh ka prasidh Kalka Mata Mandir in Hindi:

  • कालका माता का मंदिर पद्मिनी महल के उत्तर में बाई ओर स्थित है | इस मंदिर का निर्माण कहा जाता है कि 9 वी शताब्दी में मेवाड़ के गुहिलवंश राजाओं ने करवाया था | मुख्य रूप से यह मंदिर एक सूर्य मंदिर था, बाद में मुसलमानों के समय आक्रमण के दौरान मूर्ति तोड़ दी गई और बरसों तक यह मंदिर सुना रहा उसके बाद इसमें कालिका की मूर्ति स्थापना की गई अंत में महाराणा सज्जन सिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था |यहां प्रत्येक वर्ष एक विशाल मेला लगता है|

12. चित्तौड़गढ़ का मीरा मंदिर - Chittorgarh ka Meera Temple in Hindi:

  • मीरा मंदिर चित्तौड़गढ़ किले में स्थित है यह मंदिर मीरा बाई को समर्पित है महाराणा कुंभा ने अपने शासनकाल में इस मंदिर का निर्माण करवाया था जिसकी वजह से या 1 पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र है|जानकारों के अनुसार यह मंदिर पहले कुंभ श्याम का मंदिर था बाद में यह मंदिर  मीराबाई मंदिर रूप में प्रसिद्ध हुआ|

            - चित्तौड़गढ़ का वन्य जीव अभ्यारण -

13. चित्तौड़गढ़ का बस्सी वन्य जीव अभ्यारण - Chittorgarh ka Bassi Wildlife Sanctuary in Hindi:

  • बक्सी वन्य जीव अभ्यारण चित्तौड़गढ़ में ही स्थित बक्सी गांव के पास ही स्थित है|बक्सी वन्य जीव अभ्यारण  विंध्याचल पर्वत की पश्चिमी सीमा से 150 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है | यहां पर ओराई बाँध और बक्सी बाँध भी इस स्थान के प्रमुख आकर्षण है |

चित्तौड़गढ़ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय - Best Time To Visit Chittorgarh in Hindi:

  • जैसा कि आप जानते हैं कि राजस्थान थोड़ा गर्म रहता है इसलिए आप यहां पर घूमने के लिए सर्दियों में जाएं| साल के अक्टूबर से लेकर मार्च महीने का अच्छा समय होता है घूमने का 

चित्तौड़गढ़  कैसे पहुंचे - How To Reach Chittorgarh In Hindi: 

  • मेरे प्रिय पर्यटक आप पहले उदयपुर घूम लीजिए उदयपुर घूमने के बाद चित्तौड़गढ़ का प्लान कीजिए यहां जाने के लिए आप उदयपुर से बस या टैक्सी से  जा सकते हैं |उदयपुर से चित्तौड़गढ़ लगभग 112 किलोमीटर( लगभग 2 घंटे) की दूरी पर है|

हवाई जहाज से चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे हैं - How To Reach Chittorgarh By Flight :

  • चित्तौड़गढ़ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है | यहां से चित्तौड़गढ़ की दूरी लगभग 90 किलोमीटर है |आप यहां से बस या टैक्सी बुक कर के जा सकते हैं चित्तौड़गढ़ के लिए |

सड़क मार्ग से चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे - How To Reach Chittorgarh By Road:

  • चित्तौड़गढ़ राजस्थान के प्रमुख शहर जैसे जोधपुर जयपुर उदयपुर आदि  तारों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है सड़क मार्ग से चित्तौड़गढ़ की यात्रा करना एक अच्छा विकल्प है पर्यटकों के लिए | अगर आप अहमदाबाद से चित्तौड़गढ़ जाना चाहते हैं तो मात्र यह दूरी 7 घंटे की है |

ट्रेन से चित्तौड़गढ़ कैसे पहुंचे - How To Reach Chittorgarh By Train:

  • चित्तौड़गढ़ जंक्शन भारत के अन्य प्रमुख शहरों को जोड़ता है रेल मार्ग से यह रेलवे स्टेशन ब्रॉड गेज लाइन पर स्थित है जो दक्षिण राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे जंक्शन में से एक है|