दौलताबाद किला घूमने की जानकारी - Devgiri Fort Daulatabad information in Hindi

सभी पाठकों को हमारा नमस्कार। आज हम अपने इस लेख के जरिये आपको औरंगाबाद में स्थित दौलताबाद किले की सैर कराएँगे साथ ही उसकी संपूर्ण जानकारी भी आपके साथ साँझा करेंगे। इस मुगलकालीन किले की सैर के साथ ही यहाँ की संपूर्ण जानकारी के लिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ियेगा। 

दौलताबाद किला घूमने की जानकारी - Devgiri Fort Daulatabad information in Hindi

औरंगाबाद का देवगिरी (दौलताबाद) किला - Devgiri Fort Aurangabad in Hindi :

  • दौलताबाद का किला महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद के दौलताबाद में स्थित है। औरंगाबाद की एलोरा की गुफाओं की ओर जाते हुए रास्ते में ये अद्भुत किला पड़ता है जो औरंगाबाद से लगभग 15 कि.मी. दूरी पर स्थित है। दौलताबाद का किला अपने आप में इतनी अद्भुत है क्योंकि इसे देखने वाला अचंभित हुए बिना रह नहीं सकता।
  • 200 मी. की ऊँचाई और 95 हेक्टयर में फैला ये अभेद किला चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इसे इतनी मजबूती से बनाया गया है कि माना जाता है दुश्मनों को भी इस किले पर हमला करने से पहले सोचना पड़ता था। मुग़ल और तुग़लक शैली में बने इसकी एक-एक दीवार, स्तम्भ, गुंबद आपको बेहद आकर्षित करेंगे। अपनी इन्हीं खासियतों के कारण दौलताबाद का किला दक्कन की दृढ़ता और रणनीति का प्रतीक माना जाता है। 

दौलताबाद का इतिहास - Daultabaad Fort Aurangabad History in Hindi

  • दौलताबाद किला का इतिहास कई वर्षों पुराना है और इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज़ भी है। इस किले को 1187 ई. में यादव वंश में शासक भिलमा पंचम ने बसाया था। तब इस शहर का नाम ‘देवगिरि’ था, यानी ‘देवताओं का निवास’। 
  • देवगिरि के सामरिक महत्व के कारण कई शासकों में इस किले को जीतने की इच्छा रही।जिस कारण यह किला कई शासकों के अधीन रहा। राजा भिलमा पंचम के बाद यह किला राजा रामचन्द्र के अधीन रहा जो यादव वंश से ही थे। 1296 ई. में अल्लाउद्दीन खिलजी ने इस किले को जीतने के उद्देश्य से इस किले पर चढ़ाई की लेकिन वह सफल न हो सका। 1307 से 1318 मालिक कपूर इस किले पर आक्रमण किये और अंततः 1318 में वह सफल हुआ।
  • 1328 में तुगलक़ वंश के राजा ‘मोहम्मद बिन तुगलक़’ ने इस किले पर कब्ज़ा किया और इसे अपनी राजधानी घोषित करते हुए इसका नाम ‘दौलताबाद’ यानी ‘धन-धान्य का गढ़’ रखा। इसके बाद कई अन्य शासकों ने भी इस पर कब्ज़ा किया, अकबर के समय तक इस किले पर मुगलों ने शासन किया और औरंगजेब की मृत्यु तक मुगलों का ही शासन इस किले पर रहा। 
  • इसके बाद मराठों ने इस किले को हथिया लिया और अंततः 1724 ई. में हैदराबाद के निज़ाम वंशसों ने इसे हथिया लिया। इतने शासक आए और गए लेकिन ये किला वहीं का वहीं खड़ा रहा और टस से मस नहीं हुआ। इसकी इसी मजबूती के चलते ये किला आज तक पर्यटकों का केंद्र बना हुआ है।

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दौलताबाद किले से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण  सवाल - Some Important Questions Related To Daultabad Fort Aurangabad In Hindi :

1. दौलताबाद कहाँ है?

 उत्तर - दौलताबाद महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद में स्थित है। 

2. दिल्ली से किसने दौलताबाद को अपनी राजधानी में परिवर्तित किया?

उत्तर -मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली को दौलताबाद राजधानी में परिवर्तित किया।

3. देवगिरि किस शहर का नाम है?

उत्तर -पहले दौलताबाद का नाम देवगिरि ही था। 

4. मध्यकालीन भारत में सबसे शक्तिशाली किला कौन सा था?

उत्तर -मध्यकालीन भारत का सबसे शक्तिशाली किला दौलताबाद का किला था।

5. औरंगाबाद से दौलताबाद किला कितना दूर है?

उत्तर -औरंगाबाद से दौलताबाद 15 कि.मी. दूर है।

6. दौलताबाद किला घूमने में कितना समय लग सकता है?

उत्तर -दौलताबाद का किला घूमने में लगभग 2 से 3 घंटे का समय भी लग सकता है।

7. दौलताबाद किले का निर्माण किसने और कब कराया?

उत्तर -दौलताबाद किले का निर्माण यादव वंश के शासक भिलमा पंचम ने 1126 ई. में करवाया था।

8. दौलताबाद किले पर किन-किन शासकों ने राज किया?

उत्तर -दौलताबाद पर यादव, मुगल, तुगलक, मराठा और निज़ामी वंशजों के शसकों ने राज किया।

9. दौलताबाद किले की खासियत क्या है?

उत्तर -इस किले की खासियत यह है कि यह पहाड़ की चोटी पर 200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जिसके चारों और अभेद्य दीवार और महाकोट होने के साथ-साथ यह चारों ओर से गहरी खाई से घिरा हुआ है।

10. एलोरा की गुफाओं से दौलताबाद किले की दूरी कितनी है?

उत्तर -एलोरा की गुफाएँ दौलताबाद किले से 9.64 कि.मी.की दूरी पर स्थित हैं।

11. कब किसने देवगिरि नाम बदलकर दौलताबाद रखा?

उत्तर -तुगलक वंश के शासक ‘मोहम्मद बिन तुगलक़’ ने 1328 ई. में देवगिरि का नाम बदलकर दौलताबाद रखा।

12. देवगिरि किस राज्य में है ?

उत्तर -देवगिरि  महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है | 

दौलताबाद किले की बनावट -  Desinging of Daultabad Fort Aurangabad in Hindi :

  • दौलताबाद किले का निर्माण दुश्मनों को धूल चटाने के उद्देश्य किया गया था। इसी वजह से इस किले का निर्माण 200 मी. ऊँची पहाड़ी पर चट्टानों को काटकर बनाया गया है। 
  • दौलताबाद के किले के अन्दर चारों तरफ और बाहर एक मजबूत प्राचीर है जिस कारण इसे अभेद्य माना जाता है। 
  • महाकोट यानी 54 गढ़ों वाली चार , अलग-अलग तरह की दीवारें किले को चारों तरह से घेरती हैं जो लगभग 5 कि.मी. का घेरा तैयार करता है।
  • दौलताबाद किले की दीवारें लगभग 6-9 फुट मोटी और 18-27 फुट ऊँची हैं। 
  • इस किले की मुख्य बात यह है कि इस किले के चारों तरह गहरी खाई है जिस कारण दुश्मनों के भी पसीने छूटते थे।
  • दौलताबाद किले में 7 विशाल और मजबूत द्वार हैं। ये दरवाजें इतने मजबूत हैं कि इन्हें खोलने और बंद करने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जाता था।  

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दौलताबाद किले के मुख्य स्मार - Best Things To See In Daultabad Fort Aurangabad in Hindi- 

# चाँद मीनार - Chand Minar In Hindi :

  • दौलताबाद की 210 फीट ऊँची ‘चाँद मीनार’ इस किला का मुख्य आकर्षण है। इस मीनार का निर्माण अल्लाउद्दीन बहमनी शाह ने करवाया था। यह तीन मंजिला मीनार है। इस मीनार में सीढ़ियाँ है जो आपको इसके ऊपरी हिस्से तक ले जाती हैं जिनकी संख्या लगभग 230 है।
  • इस मीनार को ख़ास तुर्की शैली में बनवाया गया है और इसके आस-पास के हिस्से को 4 हिस्सों में बाँटा गया जिसमें 24 चैम्बर्स हैं।

# भारत माता मंदिर - Bharat Mata Temple in Hindi :

  • दौलताबाद किले के परिसर में एक भारत माता को समर्पित एक मंदिर भी बना हुआ है। जो हमारे देश और राष्ट्र प्रेम का प्रतीक भी माना जा सकता है।  यह एक पुरातन मंदिर माना जाता है।साथ ही यहाँ के शिल्प को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ संगीत और अन्य कलाओं के प्रदर्शन के आयोजन हुआ करते होंगे। इस मंदिर की संरचना यादव कालीन प्रतीत होती है। 

# चीनी महल - Cheeni Mehal in Hindi :

  • दौलताबाद किले के अंदरूनी हिस्से में यह चीनी महल बना हुआ है जिसकी छत्त आज पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। किले इसकी वास्तुकला और शिल्प आज भी इसको उतना ही ऐतिहासिक बनाता है।

दौलताबाद किले के अन्य स्मारक - Other Things to See in Daultabad Fort Aurangabad in Hindi :

  • इस किले में एक छोटी मस्जिद भी मौजूद है जिसे 1318 में कुतुबुद्दीन शाह ने बनवाया था। इस मस्जिद के ऊपरी हिस्से पर लगी नीले रंग की तुर्की शैली की टाइल्स इस मस्जिद की सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं।
  • किले की ‘हाथी हौद’ इस किले के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यह एक विशाल टंकी है जिसमें 10,000 घन मी. पानी ग्रहण करने की क्षमता है। 
  • इस किले के रास्ते और सीढ़ियाँ बड़ी घुमावदार बनाई गई हैं जो दुश्मनों की गति को धीमा करने के उद्देश्य से की गई होंगी।
  • इसके अलावा आपको यहाँ तुर्की शैली में बने स्नान घर, मालिश के कमरे, नहरे, टंकियाँ, वेंटीलेटर्स आदि देखने को मिल सकते हैं। जिसकी बेहद खूबसूरत संरचना आपको अचंभित कर सकती है।
  • किले के अवशेषों के रूप में आप यहाँ सीढ़ीदार कुएँ, पानी के कुंड, दरबारों की इमारत, सार्वजनिक दीवान कक्ष भी देख सकते हैं। 
  • किले के अन्य मुख्य आकर्षणों में से ‘बारादरी’, शाही तुर्की और मुगल शैली में बने कक्ष और परिसर में मौजूद अनाज और गोला बारूद के गोदाम आपको रोमांचित कर देंगे।
  • दौलताबाद के 7 बड़े और मजबूत दरवाजों पर सुरक्षा की दृष्टि से तोपें तैनात की गई हैं, और इसके आख़िरी दरवाजें पर आज भी 16 फीट लम्बी तोप रखी हुई है। इस तोप का नाम ‘मेंढा तोप’ है, जो पाँच धातुओं से मिलकर बनी है। इसका एक भाग भेड़ के मुँह का बना हुआ है।
  • किले के सबसे ऊपरी छोर पर एक ओर तोप रखी है जिसका नाम ‘धुँआ धुन’ तोप यानी सब कुछ नष्ट करने वाली तोप। 
  • इस किले में मुख्य रूप से पहुँचने के लिए एक पुल है जो आज लोहे का बना हुआ है लेकिन उस समय यह चमड़े का हुआ करता था जिसे शत्रु के आने पर खींच लिया जाता था और नीचे हुआ करती थी जो 70 फीट चौड़ी और 80 फीट गहरी है जिसमें एक समय पर मगरमच्छ हुआ करते थे।
  • इस किले में एक भूलभुलैया भी मौजूद है। जहाँ रोशनी की कोई गुंजाइश नहीं है।   

दौलताबाद किला का प्रवेश शुल्क और जाने का समय - Entry Fee or Visit time of Daultabad Fort Aurangabad in Hindi : 

  • दौलताबाद किला पर्यटकों का मुख्य केंद्र बिंदु है इसलिए ये किला सुबह 9 से शाम 6 बजे तक यात्रियों के लिए खुला होता है। साथ ही इस किले में जाने का प्रवेश शुल्क भारतीय यात्रियों के लिए मात्र 10 रूपये और विदेशी पर्यटकों के मात्र 100 रूपये है जिससे आप लगभग 2 से 3 घंटे तक इस किले की सैर कर सकते हो।

दौलताबाद जाने वाले यात्रियों के लिए कुछ टिप्स - Tips For Daultabad Fort Journey Aurangabad in Hindi : 

  • दौलताबाद का किला लगभग 200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है इसलिए इस किले की चढ़ाई करना आसान नहीं है। जो भी यात्री बी.पी., हार्ट पेशंट या अस्थमा पेशंट हैं उन्हें इस किले की चढ़ाई करने से पहले सोचना चाहिए।
  • दौलताबाद किला चट्टानों को काट कर बनाया गया है तो यहाँ का रास्ता बेहद उबड़-खाबड़ है। अगर कोई महिला गर्भ से हैं तो उन्हें भी इस किले की यात्रा नहीं करनी चाहिए ये करें तो पूरी सावधानी के साथ।

  • यदि आप परिवार के साथ इस किले की यात्रा पर निकले हैं तो बच्चे और बूढ़ों का ख़ास ख़याल रखें, क्योंकि इस किले चारों तरह गहरी खाई है। ज़रा-सी चूक किसी घटना का कारण बन सकती है।

  • किले की चढ़ाई करते समय पानी की बोतल और कुछ खाने का सामान आप साथ रख सकते हैं क्योंकि साँस फूलने या गला सूखने पर आपको ज़रूरत पड़ सकती है।

  • साथ ही इस किले में अन्दर की ओर भी काफी सीढ़ीनुमा रास्ते हैं जिन पर आप आराम से चढ़े तो बेहतर होगा क्योंकि जल्दबाज़ी से आप थक सकते हैं।  

  • यदि आप चाहे तो इस किले की टिकट पहले से भी ऑनलाइन बुक करा सकते हैं ऐसा करने से आपका समय भी बचेगा और आप 2 से 3 घंटे आराम से किले में घूम सकते हैं।

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दौलताबाद किला कैसे पहुँचे - How To Reach Daultabad Fort Aurangabad In Hindi : 

  • दौलताबाद किले तक पहुँचने के लिए आप सड़क, हवाई जहाज और रेल मार्ग किसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। किसी भी मार्ग से आप इस ऐतिहासिक किले तक आसानी से पहुँच सकते हैं। दौलताबाद का किला औरंगाबाद से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। एलोरा की गुफा जाने वाली किसी भी रोडवेज बस या प्राइवेट टैक्सी के जरिए आप दौलताबाद किले तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
  • औरंगाबाद हवाई अड्डे से दिल्ली, मुम्बई, जयपुर जैसे शहरों से सीधे कई फ्लाइट उपलब्ध हैं। साथ ही औरंगाबाद के रेलवे स्टेशन से भारत के कई बड़े शहरों से जैसे मुम्बई, दिल्ली, तिरुपति, सिकन्दराबाद आदि की सीधी रेलें मौजूद हैं। 

दौलताबाद किले के आस-पास अन्य पर्यटक केंद्र - Other Tourist Spots to Near Daultabad Fort Aurangabad in Hindi :

  • दौलताबाद किले के आस-पास ऐसे अनेक पर्यटक स्थल हैं जहाँ आप जा सकते हैं, जिनमें से अजंता-एलोरा की गुफाएँ तो सबसे नजदीक हैं जो मात्र 9.64 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं। इसके आलावा बीबी का मकबरा, पनचक्की, ग्रिनेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, सलीम अली लेक, साईं समाधि मंदिर आदि अन्य प्रमुख आकर्षण हैं।

इस शानदार और ऐतिहासिक किले को देखना दावे के साथ आपके लिए एक रोमांचक यात्रा से कम नहीं होगा। इसकी मुगल, तुर्की बनावट आपको आपको अचंभित करने के लिए काफी है। तो जब भी औरंगाबाद की सैर पर निकले इस ऐतिहासिक और अभेद्य किले की सैर करना न भूलियेगा। क्योंकि इसे छोड़ देना एक अनोखे अनुभव से मुँह मोड़ने जैसा होगा। साथ ही मात्र केवल इस स्थान से आप औरंगाबाद की अन्य पर्यटक स्थलों की भी सैर आराम से कर सकते हैं।