Indus Valley Civilization in hindi- सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता)

मेरे प्यारे पाठको आज हम जानेंगे सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता क्या है

Indus Valley Civilization in hindi- सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता)

Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi -

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता क्या है - What is Indus Valley Civilization or Harappan Civilization :

  • स्रोतों से यह पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में विकसित हुई थी।
  • यह कांस्य युगीन  सभ्यता थी।  तांबा + टीन ( cu + sn )
  • इसकी खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया गया।
  • इसकी स्थापना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 1861 में लॉर्ड कैनिंन के शासनकाल में हुई थी।
  • अलेक्जेंडर कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम डायरेक्टर जनरल थे इसलिए उन्हें भारतीय पुरातत्व का जनक माना जाता है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग सांस्कृतिक मंत्रालय के अंतर्गत विभाग है यह एक स्वायत्तशासी संस्था है।
  • 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थान की और 1922 में रतन दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थान की खुदाई जॉन मार्शल के निर्देशन में की।
  • जॉन मार्शल उस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रमुख थे।
  • इन दो स्थलों की खुदाई से प्राप्त वस्तुओं के माध्यम से सिंधु घाटी सभ्यता के अस्तित्व का पता चला।
  • मूलता सिंधु घाटी सभ्यता नाम जॉन मार्शल ने ही दिया था।
  • इस सभ्यता का सबसे उपयुक्त नाम हड़प्पा सभ्यता है क्योंकि हड़प्पा सभ्यता का प्रथम खोजा गया स्थल था।
  • इस सभ्यता का सबसे नवीन नाम है सिंधु सारस्वत सभ्यता इसे भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता भी माना जाता है।

हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना पर प्रकाश डालिए - Town planning of Harappan civilization in hindi :

  • हड़प्पा के नगर दुर्गटीले और निचले नगर में विभाजित थे।
  • दुर्गटीला एक चबूतरे पर स्थित था।
  • ईटों की मोटी दीवारों से घिरा होता था।
  • सबसे बड़े मकान इसी क्षेत्र में स्थित थे।
  • मोहनजोदड़ो में विशाल स्नानघर अन्नभंडार सभा भवन इसी दुर्गटीले के क्षेत्र में स्थित थे।
  • हड़प्पा के नगर पूर्ण रूप से सुनियोजित थे।
  • सड़क एक दूसरे को समकोण पर काटती हुई एक दृढ़ संरचना का निर्माण करती थी।
  • दुर्गटीले में स्थित सभी भवन खूब अधिक पक्की  हुई या पक्की हुई कि ईटों  से निर्मित थी। कुछ भवन बहुमंजिला थी।
  • सभी भवनों में आंगन रसोईघर और कई कमरे होते थे।
  • कुछ मे कुएं भी थे।
  • प्रत्येक घर में अपनी नालियां होती थी घर की नालियां सड़क के नीचे रहने वाले नालियों से जुड़े रहते थे।
  • नालियां ईंटों और चूने से बनाई गई थी।
  • सड़क की नालियों में नरम ओके हुआ करते थे ताकि नालियों की सफाई की जा सके।
  • यह दुनिया की सबसे उत्तम जल निकास प्रणाली थी।
  • घर के दरवाजे पीछे की तरफ या पतली गली की तरफ खोलते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था या आर्थिक स्थिति कैसी थी - Economic condition of harappans in hindi :

  • हड़प्पा की अर्थव्यवस्था पशुपालन, कृषि तथा व्यापार वाणिज्य पर निर्भर थी।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने भैंसों, भेड़ों,  ऊँटों, बकरीयों, सूअर, कुत्ते गंधे जैसे जानवरों को पालतू बनाया।
  • जंगलों में उनका संपर्क हाथी, बाघ, बंदर, हिरण इत्यादि जानवरों से हुआ।
  • लोथल के लोगों ने हाथी को भी पालतू बनाया था।
  • कालीबंगा में ऊँटों  को भी पालतू बनाया गया था।
  • यह जानवर दूध के लिए नहीं पाले जाते थे।
  • बाढ़ के मैदान में हड़प्पा के लोगों ने गेहूं, जौ, सरसों जैसे 9 फसलों का उत्पादन किया।
  • लोथल और रंगपुर में चावल के भी उत्पादन हुए उन्होंने अपने खेतों की जुताई लकड़ी के हल से की।
  • बनावली से मिट्टी के हल का खिलौना प्राप्त हुआ।
  • हल्से खेती करके अधिक फसलें उगाई गई और इस प्रकार उस पर अधिक लोग निर्भर रह सके तथा एक छोटे से क्षेत्र से अपना भोजन प्राप्त कर सके।
  • हड़प्पा सभ्यता के लोग अपने क्षेत्र के अंदर  दूरदराज के क्षेत्र के साथ व्यापार करते थे यह स्थलीय और जलीय मार्ग से हुआ।
  • बोतर के पास मेहरगढ़ तथा सोतुगुई अफगानिस्तान जाने वाले व्यापारिक मार्ग पर एक पड़ाव स्थल थे।
  • उन्होंने अफगानिस्तान, ईरान, दिलमुंड तथा मेसोपोटामिया इत्यादि क्षेत्र से व्यापार किया।
  • दिलमून मेसोपोटामिया जाने वाले मार्ग पर स्थित था।
  •  मेसोपोटामिया अभिलेख (सारगोन अभिलेख) 2350 bc मैं हड़प्पा क्षेत्र को मेलूहा कहा गया है।

 सिंधु घाटी सभ्यता की राजव्यवस्था :

  • बिना लिखित साक्षी के सिंधु घाटी सभ्यता के राजनीतिक व्यवस्था का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है, लेकिन विकसित नगर योजना से पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता में एक व्यवस्थित प्रशासन रहा होगा
  • सरकार का स्वरूप क्या था यह स्पष्ट नहीं है।
  • स्टुअर्ट पिग्गट  मानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता में पुरोहितों का शासन था लेकिन आधुनिक विद्वावानों ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
  • कुछ अन्य विद्वावानों का कहना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता में वर्णिको का शासन था।
  • आधुनिक इतिहासकार मानते हैं, कि सिंधु घाटी सभ्यता में एक राजा के अधीन एक विशाल साम्राज्य था और यह  साम्राज्य अनेक प्रांतों में विभक्त था।

सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मिक व्यवस्था एवं महत्व क्या था चर्चा करें - Religion of Indus Valley Civilization in hindi :

  • स्रोतों से पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों द्वारा अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती थी लेकिन उनमें से मात् देवी सर्वाधिक पूजी जाती थी।
  • जानवरों से घिरा सिंह वाला एक पुरुष देवता शिव का रूप माना जाता है जो पशुपति शिव का संकेत है।
  • जॉन मार्शल ने इस पुरुष देवता को आद्य शिव नाम दिया है।
  • कुछ अद्भुत देखने वाले जंतु आधा मनुष्य आधा जानवर वाले देवता भी संभवतः पूजे जाते थे।
  • एक सिंगी पशु इस कथन का उदाहरण है जो उनकी मोहरों पर अंकित है।
  • संभवत हड़प्पा के लोग अग्नि की भी पूजा करते थे कालीबंगा से प्राप्त यज्ञ कुंड की श्रृंखला इसका उदाहरण है।
  • मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानघर संभवतः धार्मिक महत्व का तालाब था जहां लोग पूजा अर्चना के पूर्व स्नान करते थे।
  • सिंधु घाटी सभ्यता में मंदिर का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है लेकिन मोहनजोदड़ो ने दुर्गटीले क्षेत्र से एक मंदिर जैसे संरचना प्राप्त की हुई है।
  • हड़प्पा से स्वास्तिक का साथ मिला है इसलिए कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता में सूर्य की पूजा होती थी।

हड़प्पा सभ्यता के लोगों की सामाजिक व्यवस्था कैसी थी - Society of Indus Valley Civilization :

  • संभवत हड़प्पा समाज मात्र प्रधान था परिवार समाज की इकाई थी।
  • लोग शांति प्रेमी थे लेकिन सामाजिक विभाजन था।
  • हड़प्पा के लोग शाकाहारी मांसाहारी दोनों प्रकार के थे वह दूध नहीं पीते थे।
  • वह ऊनी और सूती दोनों तरह के कपड़े पहनते थे।
  • कपड़े के साथ लोथल और मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक कलश में कपड़े के कुछ टुकड़े मिले हैं।
  • हड़प्पा के लोगों ने आभूषणों का प्रयोग किया था।
  • हड़प्पा के नगर से गले के हार मनके तथा ताबीज इत्यादि आभूषणों के साक्ष्य मिले हैं।
  • हड़प्पा में मनोरंजन के अनेक साधन थे बच्चे खिलौने से खेलते थे और बड़े लोग शतरंज खेलते थे।
  • वह नित्य भी देखते थे।
  • मोहनजोदड़ो से नाचती हुई एक लड़की की मूर्ति प्राप्त हुई है।
  • हड़प्पा सभ्यता में तीनों प्रकार की समाधि परंपरा विद्यमान थी।
  • हड़प्पा की कुछ स्थान से समाधान चेंबर प्राप्त हुए हैं जो समानता गड्ढे के रूप में हैं।
  • कुछ समाधियो के अंदर ईट से दीवार भी बनाई गई है जो सामाजिक विभाजन को प्रदर्शित करती हैं।
  • कुछ समाधियो में मृतकों के साथ आभूषण और मृतकों के बर्तन रख दिए जाते थे।
  • किस प्रकार हम कह सकते हैं कि वह मृत्यु के पश्चात जीवन में विश्वास करते थे।

हड़प्पा सभ्यता में शिल्पकारी पर चर्चा कीजिए - Craft in Harappan Civilization in hindi :

  • हड़प्पा सभ्यता के लोग अपने समस्त शहरी सुविधाओं के साथ अधिक जनसंख्या वाले नगर में निवास करते थे।
  • वह चित्रकारी करते थे।
  • जो उस समय के सांस्कृतिक जीवन को व्यक्त करता है।
  • उन्होंने निम्नलिखित जानवरों के चित्र बनाएं हाथी, भालू,  एकसिंगी पशु,  बाघ, गैंडा इत्यादि।
  • हड़प्पा के लोगों ने सादे और चित्र दोनों प्रकार के मिट्टी के बर्तन बनाएं।
  • हड़प्पा के लोगों का प्रारूपिक प्रक्रम था लाल मृदभांड।
  • हड़प्पा के लोग ईट का निर्माण करते थे ईटों के आकार निर्धारित थे।
  • हड़प्पा के लोगों ने पत्थर और मिट्टी की मूर्तियां और खिलौने बनाए।
  • दाढ़ी वाले मानव की पत्थर की एक धड़ की मूर्ति बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है।
  • कपड़े उन और कपास दोनों से बनाए जाते थे।
  • कुछ बुने हुए कपड़ों के साथ से मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए हैं।
  • शाॅल भी बनाए जाते थे।
  • हड़प्पा के लोग अनेक प्रकार की मोहरो का प्रयोग करते थे यह मोहरे व्यापार के लिए प्रयोग में लाई गई थी।
  • मूलतः यह मोहरे छोटे-छोटे टेबलेट होते थे वह सेलखड़ी के बने होते थे।
  • इन मुद्दों पर अनेक प्रकार की छाप बनाए जाते थे।
  • लकड़ी सेनाओं और पहिए वाली गाड़ियां बनाए जाते थे ताकि दूर के क्षेत्र से व्यापार संभव हो सके।
  • चोलिस्तान से एक लकड़ी के हल का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
  • हड़प्पा के लोग बाट और माप का प्रयोग करते थे। बाँट16 के गुणक में होते थे (16;) यदि एक बाट 16 इकाई का होता था तो दूसरा बाट 32 इकाई का।

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन होने कारण पर चर्चा कीजिए - Decline of Harappan Civilization in hindi :

हड़प्पा सभ्यता के नष्ट होने के निम्नलिखित कारण है । हड़प्पा की भौतिक संरचना तो नष्ट हो गई लेकिन उनकी परंपराएं नहीं भौतिक संरचना के नष्ट होने के अनेक कारण थे।  सिंधु सभ्यता के पतन होने के अनेक इतिहासकारों के अनेक अनेक मत हैं।

1. बाढ़ (Flood) :  जॉन मार्शल के अनुसार इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से ही हुआ हालांकि सिंधु घाटी का क्षेत्र नदी के किनारे स्थित था तो यह कहना स्वाभाविक है कि बाढ़ का प्रकोप आया होगा और यह तर्कसंगत भी लगता है।

2. आर्यों का आक्रमण (Aryan lnvasion) : मॉर्टिमर व्हीलर के अनुसार, केवल बाढ़ आने से इतनी बड़ी साम्राज्य का पतन नहीं हो सकता इसलिए बाढ़ के अलावा भी और कारण हो सकते हैं जैसे: आर्यों का आक्रमण।

3. सूखा (Drouht) :  जगदीप सिंह के अनुसार, इस सभ्यता के पतन का एक कारण सूखा भी रहा होगा।  वहां की भूमि में बसे हुए पाए गए पराग कण के माध्यम से उन्होंने यह पता लगाया कि यहां सूखा भी पढ़ा होगा क्योंकि परागकण का घनत्व पानी से कम होता है अतः वह पानी में ऊपर तैरते हुए पाए जाते हैं कभी यहां सूखा पड़ा होगा जिसके कारण या पर आकर जमीन में धंस गए होंगे।

4. जलवायु परिवर्तन (Climate change) : orenstein के  अनुसार जलवायु परिवर्तन भी एक प्रमुख कारण रहा होगा सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का।

5. महामारी (Epidemic) : k u r Kennedy के  अनुसार बाढ़ से आए पानी में आई गंदे पानी से उत्पन्न बीमारी से महामारी भी हुई होगी यह भी एक प्रमुख कारण है सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का।

सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े कुछ पर्यटक स्थल और वहां से प्राप्त साक्ष्य - Important site and unwrapped Evidence :

1. धोलावीरा (सिंधु सभ्यता या हड़प्पा का शहर) : धौलावीरा की खोज जेपी जोशी ने की और यह गुजरात में स्थित है। यहां से जल प्रबंधन का साक्ष्य मिला। नगर तीन भागों में विभाजित दुर्गटीला, मध्यवर्ती नगर और निचला नगर था। 10 सबसे बड़े अक्षर वाले नाम पट्टिका मिली।

धोलावीरा कैसे पहुंचे - How to reach Dholavira in Hindi :

अनेकों मार्ग के द्वारा आप धोलावीरा पहुंच सकते हैं सड़क मार्ग के द्वारा रेल मार्ग के द्वारा फ्लाइट के द्वारा।

सड़क मार्ग के द्वारा धोलावीरा कैसे पहुंचे - How to reach Dholavira by road in Hindi :

धोलावीरा भुज से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ भचाऊ और रपार के के रस्ते पंहुचा जा सकता है।

रेल के द्वारा धौलावीरा कैसे पहुंचे - How to reach Dholavira by train in Hindi :

नजदीकी रेलवे स्टेशनों है, भचाऊ रेलवे स्टेशन को 92.4 किमी की दूरी पर है और 91.2 किमी की दूरी पर समांखिअलि रेलवे स्टेशन स्थित हैं। कच्छ क्षेत्र से गुजरने वाली कई ट्रेनों इन स्टेशनों पे रूकती हैं।

 फ्लाइट के द्वारा धौलावीरा कैसे पहुंचे - How to reach Dholavira by flight in Hindi :

धोलावीरा से निकटतम हवाई अड्डा, भुज हवाई अड्डा है।

2. राखीगढ़ी: यह हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी बस्ती और पालतू कुत्ते की समाधि मिली।

राखीगढ़ी कैसे पहुंचे - How to reach rakhigarhi :

जहां आप सड़क मार्ग, ट्रेन और फ्लाइट के द्वारा आ सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा राखीगढ़ी कैसे पहुंचे - How to reach RakhiGarhi by road in Hindi :

गुरुग्राम से 131 किलोमीटर की दूरी पर हरियाणा है जहां आप 2 घंटे में कार से पहुंच सकते हैं हरियाणा में स्थित हिसार जिले में राखीगढ़ी स्थित है।

ट्रेन द्वारा राखीगढ़ी कैसे पहुंचे - How to reach Rakhi Ghadi by train in hindi: 

गुरुग्राम रेलवे स्टेशन से हरियाणा 131 किलोमीटर है अतः वहां से आपको बस लेना पड़ेगा।

फ्लाइट के माध्यम से राखीगढ़ी कैसे पहुंचे - How to reach our kadhi by flight in Hindi:

फ्लाइट के द्वारा राखीगढी आना थोड़ा मुश्किल है इसके लिए आपको न्यू दिल्ली इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र पर आना पड़ेगा तत्पश्चात वहां से हरियाणा  फिर हिसार।

3. आलमगीरपुर:  उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित है। मिट्टी के बर्तन पर त्रिभुज मोर और गिलहरी के अंकन प्राप्त हुए।

आलमगीरपुर कैसे पहुंचे - How to reach alamgirpur :

आलमगीर पहुंचने की सड़क मार्ग रेल मार्ग और वायु मार्ग उपलब्ध है।

सड़क मार्ग द्वारा आलमगीरपुर कैसे पहुंचे - How to reach Alamgir by road in Hindi:

बस द्वारा आप मेरठ आसानी से जा सकते हैं।

रेल के द्वारा अलमगीरपुर कैसे पहुंचे - How to reach Alamgirpur by train in Hindi :

सर्वप्रथम आपको मेरठ रेलवे स्टेशन से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आलमगीरपुर बस द्वारा जा सकते हैं।

फ्लाइट के द्वारा आलमगीरपुर कैसे पहुंचे - How to reach Alamghirpur by flight in Hindi:

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हवाई पट्टी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

4. लोथल : गुजरात में स्थित है मनका बनाने का कारखाना तीन युगल समाधि के साथ यज्ञ कुंड के साक्ष्य और चावल उगाने के साक्ष्य प्राप्त हुए। कलर्स पर चालाक लोमड़ी की कहानी अंकन। नाग पूजा का प्रमाण का साक्ष्य। कपड़े के कुछ टुकड़े का साक्ष्य।  बंदरगाह का साक्ष्य। यहां से प्राप्त सभी साक्ष्य को वहां उपस्थित संग्रहालय में संरक्षित करके रखा गया है।

लोथल कैसे पहुंचे - How to reach Lothal :

अहमदाबाद से लोथल 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग द्वारा लोथल कैसे पहुंचे - How to reach Lothal by road in Hindi:

अहमदाबाद से सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से लोथल पहुंचा जा सकता है अहमदाबाद में स्थित कैब टैक्सी और बस के द्वारा पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन मार्ग के द्वारा लोथल कैसे पहुंचे - How to reach Lothal by train in Hindi:

अगर आप रेल से यात्रा कर रहे हैं आप अहमदाबा से बुरखी तक ट्रेन और फिर लोथल के लिए यहां से बस ले सकते हैं।

लोथल आने का सही समय - Right time to visit Lothal in hindi:

लोथल का मौसम बेहद गर्म रहता है इसलिए गर्मी के मौसम में लोथल बिलकुल ना आएं। अगर आप लोथल में बसी सभ्‍यता और इसके अवशेषों को आराम से  देखना चाहते हैं तो लोथल आने का सबसे सही समय नवंबर से लेकर मार्च के अंत तक है।