कोणार्क सूर्य मंदिर की संपूर्ण जानकारी तथा उस से जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य- Konark temple in hindi

मेरे प्रिय पाठक आपका प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में इस लेख में हम कोर्णाक सूर्य मंदिर की संपूर्ण जानकारी देंगे अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे इस लेख को अंत  पढ़ें |

कोणार्क सूर्य मंदिर की संपूर्ण जानकारी तथा उस से जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य- Konark temple in hindi
कोणार्क सूर्य मंदिर की संपूर्ण जानकारी तथा उस से जुड़े कुछ ऐतिहासिक तथ्य- Konark temple in hindi

कोणार्क मंदिर का रहस्य - Konark Temple Mystery in Hindi:

  • कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित एक विशाल मंदिर है।
  • यह भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है।
  • इस भारी मंदिर को देखने के लिए बहुत सी संख्या में विदेशी भारतीय पूरे साल यहां आते रहते हैं।
  • कोणार्क दो शब्दों का कोण (कोना) और अर्क (अर्का) से मिलकर बना है। जहां कोण का अर्थ कोना (कॉर्नर) और अर्क का अर्थ सूर्य (सूर्य) है।
  • दोनों को संयुक्त रूप से मिलाने पर कोणार्क बनता है यानी सूर्य का कोना।
  • मंदिर कहां ऊपर कोना काला दिखाई देने के कारण इसका नाम काले पैगोडा भी हैं ।
  •  यूनेस्को द्वारा 1984 में कोणार्क सूर्य मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी हैं ।
  • भगवान सूर्य को सनातन धर्म के आदि पंच देवों में माना जाता है। 
  • वहीं कलयुग के एकमात्र दृश्य देव होने के साथ ही ज्योतिष में भी इनका खास महत्व माना गया है। 
  • ज्योतिष में जहां एक ओर यह ग्रहों के राजा कहे जाते हैं, वहीं कुंडली में ये आत्मा के कारक हैं।
  • भारत में अनेक देवी देवताओं के मंदिर हैं, इन्हीं में से कुछ सूर्य देव के भी मंदिर हैं, जो अपने आप में काफी खास हैं। 
  • इनमें चाहे उड़ीसा का कोणार्क मंदिर हो या उत्तराखंड का प्राचीन ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’।

कोणार्क मंदिर का इतिहास - Konark temple history in hindi :

  • कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण कार्य तेरहवीं शताब्दी के मध्य हुआ था या मंदिर कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग की निपुणता का एक विशाल ढांचा है।
  • राजा नरसिंह देव प्रथम जो गंग वंश के महान शासक थे इन्होंने अपने शासनकाल के दौरान 1200 कारीगरों की मदद से कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था।
  • ऐसा माना जाता है कि गंग वंश के शासक सूर्य की पूजा करते थे।
  • इसलिए कलिंग शैली से निर्मित किस मंदिर में सूर्य देवता को रथ के साथ विराजमान किया गया है तथा पत्थरों की उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है।
  • इस मंदिर के निर्माण कार्य में लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग हुआ है।
  • पूरे मंदिर स्थल को 12 जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़ों द्वारा खींची हुई निर्मित किया गया है जिसमें सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है यह देखने में अत्यंत आकर्षण और आश्चर्यजनक प्रतीत होता है।
  • वर्तमान समय में 7 गुणों में से सिर्फ एक घोड़ा ही बचा हुआ है।
  • आज जो भी मंदिर मौजूद है उसका श्रेय आंशिक रूप से ब्रिटिश भारत योगी पुरातात्विक टीमों के संरक्षण को जाता है उन्हीं के कारण यह संभव हो पाया है।

कोणार्क के सूर्य मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा - Religious Story About Konark Sun Temple in Hindi :

  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र सांबा को अपने पिता के श्राप के कारण कुष्ठ रोग हो गया था।
  •  सांबा ने कोणार्क में चंद्रभागा नदी के संगम पर 12 वर्ष तक तपस्या की और सूर्य देवता को प्रसन्न किया था जिसके कारण उनकी बीमारी ठीक हो गई।
  •  इससे प्रसन्न होकर आभार प्रकट करने के लिए उन्होंने सूर्य देवता के सम्मान में एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया अगले दिन नदी में नहाते समय उन्हें भगवान की एक प्रतिमा मिली जो विश्वकर्मा द्वारा सूर्य के शरीर से लेकर निकाली गई थी।
  • तबसे यह स्थान पवित्र माना जाता है और कोणार्क के सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता है यह अत्यधिक पावन और पवित्र स्थान है।

कोणार्क के सूर्य मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक तथ्य - Interesting Facts About Konark Sun Temple :

 कोणार्क सूर्य मंदिर मे अनेकों जानने योग्य  रोचक तथ्य हैं यह कुछ निम्न है।

  • मंदिर के सर्च पर एक भारी चुंबक रखा गया है और मंदिर के हर पत्थर को लोहे से सुसज्जित किया गया है कहा जाता है कि मैग्नेट के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखाई देती।
  • ऊर्जा के प्रतीक के रूप में सूर्य देव को माना जाता है।
  • कोणार्क का सूर्य मंदिर रोगों के उपचार और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  • उड़ीसा में स्थित पांच महान धार्मिक स्थलों में से कोणार्क का सूर्य मंदिर सबसे उत्तम माना जाता है जबकि अन्य चार स्थल पूरी भुवनेश्वर महाविनायक और जाजपूर है।
  • इस मंदिर के आधार पर 12 जोड़ी पहिए स्थित है या कोणार्क के सूर्य मंदिर की विशेषताओं में से एक है वास्तव में यह पहिए से अनोखे हैं  क्योंकि यह समय भी बताते हैं।
  • दिन के सटीक समय का अंदाजा इन पहियों की छाया को देखकर लगाया जा सकता है।
  • इस मंदिर में प्रत्येक दो पत्रों के बीच में एक लोहे की चादर लगी हुई है।
  •  ऊपरी मंदिर का निर्माण लोहे के बीम से हुआ है।
  • मुख्य मंदिर की चोटी के निर्माण में 52 टन चुंबकीय लोहे का उपयोग हुआ है माना जाता है कि मंदिर का पूरा ढांचा इसे चुंबक की वजह से समुद्र की गतिविधि उसको सहन कर पाता है।
  • कोणार्क मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधी मुख्य प्रवेश द्वार पर पड़ती है सूर्य की किरणें मंदिर से पार होकर मूर्ति कि केंद्र में हीरे से प्रतिबिंब होकर चमकदार दिखाई देती है यह दृश्य अत्यंत ही खूबसूरत और प्रभावशाली प्रतीत होता है।
  • मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर विशाल शेर स्थापित किए गए हैं।
  • इन शेरों को हाथी को कुचलता हुआ प्रदर्शित दिखाया गया है।
  • प्रतीक हाथी के नीचे मानव शरीर है जो मनुष्य के लिए संदेश देता मनमोहक चित्र हैं ।
  • कोणार्क के सूर्य मंदिर में नृत्य हाल भी देखने लायक है।
  • मंदिर की संरचना और इसके पत्थर से बनी मूर्तियां ककामोत्तेजक मुद्रा में है जो इस मंदिर की अन्य विशेषताओं को प्रदर्शित करता है।
  • इस मंदिर की मूर्ति कला अत्यंत खूबसूरत प्रभावशाली और आश्चर्यजनक प्रतीत होती है।

कोणार्क का सूर्य मंदिर कहां स्थित है - Where is located Sun Temple?. : 

कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा के तट पर स्थित है या चंद्रभागा नदी के किनारे पूरी के तट से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व में कोणार्क के तेरहवीं शताब्दी का एक प्रतिष्ठित मंदिर है।

कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण किसने करवाया - Who Konark Temple built by in Hindi :

प्रस्तुत कोणार्क सूर्य-मन्दिर का निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है। इसे १२३६–१२६४ ईसा पूर्व गंग वंश के तत्कालीन सामंत राजा नृसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था।

भारत में कितने सूर्य मंदिर है - How Many Surya Mandir in india :

हमारे भारत में कुल 12 सूर्य मंदिर है जो अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर प्रचलित हैं इनमें से कुछ प्रमुख सूर्य मंदिर के दर्शन हम आपको कराएंगे।

1. उलार सूर्य मंदिर - Ulaar Sun Temple : 

  • देश के 12 प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में शामिल है पटना जिले का उलार सूर्य मंदिर। 
  • भगवान भास्कर की पवित्र नगरी उलार दुल्हिनबजार प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दक्षिण एसएच2 मुख्यालय पथ पर स्थित है।
  • देश के 12 आर्क स्थलों में कोणार्क और देवार्क ( बिहार का देव) के बाद उलार (उलार्क) भगवान भास्कर की सबसे बड़े तीसरे सूर्य आर्क स्थल के रूप में जाना जाता है। 
  • जानकारी के अनुसार दापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ऋषि मुनियों के श्राप के कारण कुष्ठ रोग से पीड़ित थे।
  • देवताओं के सलाह पर उलार के तालाब में स्नान कर सवा महीने तक सूर्य की उपासना की थी।
  • इससे वे कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे। प्रत्येक रविवार को काफी संख्या में पीड़ित लोग स्नान कर सूर्य को जल व दूध अर्पित करते हैं।

2. मार्तंड सूर्य मंदिर - Martand Sun Temple:

  • यह मंदिर जम्मू काश्मीर के पहलगाम से निकट अनंतनाग में स्थित है। 
  • इस मंदिर से कश्मीर घाटी का मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है। 
  • इस मंदिर का निर्माण मध्यकालीन युग में 7वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान हुआ था।
  • सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य ने इस मंदिर का निर्माण एक छोटे से शहर अनंतनाग के पास एक पठार के ऊपर किया था।
  • इसमें 84 स्तंभ हैं, जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। 
  • मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है। 
  • बर्फ से ढंके हुए पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ केंद्र में यह मंदिर करिश्मा ही कहा जाएगा।

3. रनकपुर सूर्य मंदिर - Ranakpur Surya temple :

  • राजस्थान के रणकपुर नामक स्थान में अवस्थित यह सूर्य मंदिर, नागर शैली मे सफेद संगमरमर से बना है। 
  • भारतीय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता यह सूर्य मंदिर जैनियों के द्वारा बनवाया गया था जो उदयपुर से करीब 98 किलोमीटर दूर स्थित है।

4. उनाव बालाजी सूर्य मंदिर - Unnao Balaji Surya Mandir :

  • मध्य प्रदेश के दतिया जिले के उनाव क्षेत्र में स्थित यह उनाव सूर्य मंदिर काफी चर्चित है। दूर-दूरे से लोग सूर्य देव के दर्शन करने यहां आते हैं। 
  • इस मंदिर से जुड़ी कई मान्‍यताएं हैं। बताते हैं कि किसी भी तरह का चर्म रोग हो। 
  • इस मंदिर में आने के बाद सब दूर हो जाता है। इसीलिए यहां भक्‍तों का जमावड़ा लगा रहता है।

5. औंगारी सूर्य मंदिर - Aungari surya mandir:

  • नालंदा का प्रसिद्ध सूर्य धाम औंगारी और बडग़ांव के सूर्य मंदिर देश भर में प्रसिद्ध हैं। 
  • ऐसी मान्यता है कि यहां के सूर्य तालाब में स्नान कर मंदिर में पूजा करने से कुष्ठ रोग सहित कई असाध्य व्याधियों से मुक्ति मिलती है। 
  • प्रचलित मान्यताओं के कारण यहां छठ व्रत करने बिहार के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि देश भर के श्रद्धालु यहां आते हैं।

6. झालरापाटन सूर्य मंदिर - Jhalrapatan surya mandir:

  • झालरापाटन को सिटी ऑफ वेल्स घाटियों का शहर कहा जाता है।
  • शहर का दर्शनीय स्थल शहर के मध्य में स्थित सूर्य मंदिर है।
  • वास्तुकला की दृष्टि से या मंदिर बहुत  अद्भुत है।
  • इसका निर्माण दसवीं शताब्दी में मालवा के परमार वंशीय राजाओं ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है। इसे पद्मनाभ मंदिर भी कहा जाता है।

7. सूर्य मंदिर रांची - Surya Mandir Ranchi :

  • रांची से 39 किलोमीटर की दूरी पर रांची टाटा रोड़ पर स्थित यह सूर्य मंदिर बुंडू के समीप है 7 संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण 18 पहियों और 7 घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है। 
  • 25 जनवरी को हर साल यहां विशेष मेले का आयोजन होता है।

यह सभी सूर्य मंदिर अपने अलग-अलग मान्यताओं के कारण प्रचलित हैं साल भर यहां भारत से ही नहीं अपितु देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं और यहां की वास्तुकला, मूर्तिकला, शिल्पकारी को देखकर अचंभित हो जाते हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे - How To Reach Konark Surya Mandir In Hindi:

ओडिशा राज्य में चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर पर्यटन स्थल घूमने के लिए फरवरी से अक्टूबर तक का समय बेहतर हो जाता है। चूंकि कोणार्क एक छोटा सा स्थान है, जहां यह मंदिर स्थित है जिससे यह पहले से आसपास के शहरों तक पहुंचकर फिर कोणार्क मंदिर जाना पड़ता है।

सड़क मार्ग के द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे - How To Reach Konark Surya Mandir By Road In Hindi :

कोणार्क भुवनेश्वर से पिपली होते हुए करीब 65 किमी लंबा रास्ता है और यहां से कोणार्क पहुंचने में कुल दो घंटे लगते हैं। यह पुरी से 35 किमी है और एक घंटे का समय लगता है। कोणार्क के लिए पुरी और भुवनों से नियमित बस सेवाएं संचालित होती हैं। सार्वजनिक परिवहन के अलावा पुरी और भुवनों से निजी पर्यटक बस सेवाएं और टैक्सी भी उपलब्ध हैं।

ट्रेन के द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे - How To Reach Konark Surya Mandir By Train In Hindi:

कोणार्क का प्रबंधित रेलवे स्टेशन भुबमेन और पुरी हैं। कोणार्क भुवनेश्वर से पिपली के रास्ते 65 किलोमीटर और पुरी से 35 किमी मैरिन ड्राइव रोड पर है। पुरी दक्षिण पूर्वी रेलवे का अंतिम बिंदु है। पुरी और भुबनों के लिए कोलकाता, नई दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, मुंबई और देश के अन्य प्रमुख शहरों और कस्बों के लिए फास्ट और सुपरफास्ट ट्रेनें हैं जिनके माध्यम से आप यहां आने के बाद टैक्सी या बस से कोणार्क पहुंच सकते हैं।

फ्लाइट के द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे - How To Reach Konark Surya Mandir By Flight In Hindi :

कोणार्क भुबमेन हवाई अड्डे से 65 किमी दूर है। भुवनेश्वर नई दिल्ली, कोलकाता, विशाखापत्तनम, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ानों से जुड़ा हुआ है। इंडिगो, गो एयर, एयर इंडिया जैसी सभी प्रमुख घरेलू एयरलाइनों से भुबमेन के लिए दैनिक उड़ानें हैं। आप हवाई जहाज से भुबनेश्वर पहुंचकर फिर से बस या टैक्सी द्वारा कोणार्क मंदिर जा सकते हैं।