अशोक स्तंभ तथा इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी - All Information about Ashok Stambh in Hindi:

मेरे प्रिय पाठक आपका प्रेम पूर्वक नमस्कार हमारे इस नए लेख में इस लेख में हम अशोक स्तंभ तथा इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी देंगे अतः आपसे अनुरोध है कि इस संपूर्ण जानकारी के लिए हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े |

अशोक स्तंभ तथा इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी - All Information about Ashok Stambh in Hindi:

Ashok Stambh in Hindi-

सर्वप्रथम अशोक स्तंभ के बारे में जानकारी देने से पूर्व हम आपको यह बताना चाहते हैं कि इसका निर्माण कार्य किसके द्वारा किया गया। अशोक स्तंभ का निर्माण कार्य सम्राट अशोक के द्वारा किया गया सम्राट अशोक के बारे में कुछ जानकारी देते हुए हम आपको कुछ बातें बताना चाहते हैं।

  •  चक्रवर्ती सम्राट अशोक भारतीय मौर्य राजवंश की महान सम्राट थे ।
  • मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज किया।
  •  उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिंदू कुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था।
  • चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शीर्ष स्थान पर ही रहे हैं। 
  • सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है
  • सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। 
  • सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया  तथा  महाद्वीपों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया ।
  •  सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। 
  • इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी अन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहुत व्यापक रूप में मिल जाती ।

 अशोक स्तंभ का इतिहास - 

History of Ashok stambh in hindi:

  • भारत के राजचिह्न को सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। 
  • राजचिह्न में चार सिंह हैं, पर इसमें से सिर्फ तीन ही दिखाई देते हैं। एक सिंह आकृति के पीछे छिप जाता है। 
  • राजचिह्न के निचले हिस्से पर आर्दश वाक्य 'सत्यमेव जयते' लिखा है। यह आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है। 
  • भारत सरकार ने राजचिह्न को 26 जनवरी 1950 को अपनाया था।
  • सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे राजा थे। उनका राज्य हिंदू कुश से बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ था।
  • सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात बौद्ध धर्म में शरण ली और हिंसा का रास्ता छोड़ दिया।
  • इसके बाद उन्होंने जीवन के प्रति श्रद्धा, सहिष्णुता, करुणा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपने प्रशासन का आधार बनाया।
  •  अशोक स्तंभ में चार शेर हैं। 
  • ये चारों शेर- शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं।
  • इसके निचले हिस्से पर एक घोड़ा और बैल है। घोड़े और बैल के बीच में धर्म चक्र है।
  • अशोक स्तंभ की पूर्व दिशा की ओर हाथी, पश्चिम की ओर बैल, दक्षिण की ओर घोड़ा और उत्तर की ओर शेर हैं।
  •  इसे लॉयन कैपिटल कहा जाता है।
  • यह स्तंभ सारनाथ के पास उस जगह को चिन्हित करने के लिए बनाया गया था, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।

अशोक स्तंभ में उपस्थित शेर हमें क्या जानकारी देते हैं: 

What information does the lions of Ashok pillar give us in hindi ?.

  • अशोक स्तंभ में उपस्थित शेर हमें विभिन्न प्रकार की जानकारी देते हैं।
  • यार हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाते हैं।
  • यह दहाड़ते हुए सिंह धम्म चक्र प्रवर्तन के रूप में दृष्टिमान है।
  • भिक्षुओं में बुद्ध का ज्ञान प्राप्त होने के बाद,चारो दिशाओं में जाकर लोककल्याण हेतु बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय का आदेश इसी पतन में दिया गया।
  • इसपे लिखा सत्‍यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है केवल सच्‍चाई की विजय।
  •  अतः यह शेर सच्चाई पर विजय का प्रतीक है।

 सारनाथ का अशोक स्तंभ - Sarnath Ashok Pillar in hindi:

  • सम्राट अशोक द्वारा अनेकों  स्तंभ  बनाए गए हैं, जिनमें से सबसे लोकप्रिय सारनाथ का अशोक स्तंभ है।
  • इसे सिंह शीर्ष ( lion capital ) के नाम से भी जाना जाता है।
  •  इस स्तंभ में सबसे ऊपर चार दिशाओं में सिंह बने हुए हैं।
  • बनावट में यह सिंह काफी खूबसूरत नजर आते हैं।
  • शेरों की शारीरिक बनावट को काफी कुशलता के साथ पेश किया गया है।
  • इन्हें सम्राट अशोक की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
  • इंसानों के नीचे एक पट्टी है जिन पर चारों दिशाओं में चार चक्र बने हैं इन चक्रों में 32 तीलियां हैं।
  • इन चक्र को धर्मचक्रप्रवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
  • हमारे राष्ट्रीय ध्वज में शामिल चक्र को यहीं से लिया गया है।
  • इसी पट्टी पर चार पशु हाथी, घोड़ा, बैल और सिंह बने हुए हैं।
  •  जो देखने में बिल्कुल सच का प्रतीत होते हैं।
  •  इन स्तंभों के पीछे अनेक मत हैं कुछ इतिहासकार इसे भगवान खुद से जोड़ते हैं तो कुछ इतिहासकार इसे प्राचीन हिंदू धर्म से जोड़ते हैं कारण कुछ भी रहा हो परंतु इनकी कलाकृति अत्यंत खूबसूरत है।

 कैसे पहुंचे:

 How to Reach Sarnath:

सारनाथ वाराणसी से 13 किलोमीटर दूरी पर स्थित है वाराणसी से आपको आसानी से बस मिल जाएगा।

 कुछ आवश्यक सूचना

 Some Important information -  सिंह शीर्ष  संग्रहालय में रखा हुआ है इसकी तस्वीर लेने की इजाजत नहीं है।

 सांची का अशोक स्तंभ - Sanchi Ashok Stambh in hindi:

  • सांची एक ऐसा स्थान है, जो इतिहास प्रेमियों के साथ साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी उत्तम माना गया है।
  • सांची केवल बौद्ध धर्म को ही नहीं अपितु जैन धर्म और हिंदू धर्म को भी अपनाया है।
  •  इन धर्मों के अनेकों साक्षी यहां मिलते हैं।
  •  सांची में स्थित अशोक स्तंभ को पर्यटक को का सर्वाधिक आकर्षण केंद्र माना गया है।
  • इस स्तंभ में एक शाफ्ट और चार सिंहों से बना हुआ एक मुकुट है।
  • ये शेर एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं।
  • प्रवेश करते समय आप स्तंभ के शाफ्ट को देख सकते हैं।
  • परंतु मुकुट को संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।
  • अशोक स्तंभ ग्रीको - बौद्ध वास्तुकला शैली से निर्मित है।
  •  सांची में स्थित अशोक स्तंभ, सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ से काफी हद तक समानता रखता है।
  • यह स्तंभ देखने में अत्यंत खूबसूरत है इसकी वास्तुकला अतुल्य है।
  • सारनाथ के अशोक स्तंभ की तरह इसमें कोई धर्म चक्र नहीं है।

 कैसे पहुंचे: 

How to reach:

सांची भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है विदिशा से 10 किलोमीटर और इंदौर से 232 किलोमीटर।

रेलवे स्टेशन भोपाल जंक्शन, हबीबगंज में हैं, जो देश के सभी बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं। बस के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

इलाहाबाद का स्तंभ - Allahabad Ashok Pillar in hindi:

  •  इलाहाबाद में स्थित अशोक स्तंभ का निर्माण कार्य 16 वीं शताब्दी में सम्राट अशोक के द्वारा किया गया था।
  •  इस स्तंभ के बाहरी हिस्से में कुछ अभिलेख लिखे गए हैं।
  •  जो ब्रह्मी लिपि में है।
  • प्रयाग के दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर खुदवाया गया।
  • सम्राट जहांगीर के तख्त पर बैठने की कहानी भी इस पर  व्याख्यान है।
  • माना जाता है कि 1800 ई. में स्तंभ को गिरा दिया गया था लेकिन 1838 में अंग्रेजों ने इसे फिर से खड़ा करा दिया।
  • इस स्तम्भ के बारे में यह बताया जाता है, कि इसे अपने निश्चित स्थान से हटाकर इलाहाबाद के किले में लाया गया था। वर्तमान में भारतीय सेना इस किले की देख - रेख करती है, और आम जनता को यहाँ के कुछ स्थानों को ही देखने की इजाजत है।

 कैसे पहुंचे - How to reach:

रेल मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

वैशाली का अशोक स्तंभ - Vaishali Ashok Pillar in hindi:

  • बुद्ध लोगों को या स्थान अत्यंत प्रिय था। अतः यह लोग इस जगह की गणना अपने प्रिय धार्मिक स्थलों में करते थे।
  •  सम्राट अशोक ने जब बौद्ध धर्म को अपनाया था तो इस जगह में भी आए थे और यहां पर स्तंभ का निर्माण किया।
  • स्तंभ चुनार और बालू पत्थर की बनी हुई है।
  • वैशाली में स्थित यह अशोक स्तंभ सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए अन्य स्तंभ से बिल्कुल ही अलग है।
  •  इस स्तंभ के शीर्ष  पर केवल एक ही शेर है।
  •  इस स्तंभ पर स्थित शेर का मुख उत्तर दिशा में है, जिस दिशा में भगवान बुद्ध ने अंतिम यात्रा की थी।
  • सन 1996 में इसे चिन्हित कर खुदाई के दौरान बाहर निकाला गया।
  • जैन धर्म के प्रवर्तक के रूप में जानने वाले महावीर स्वामी का जन्म वैशाली में ही हुआ था।
  •  कई विदेशी चीनी यात्री भी इस नगर का वर्णन किए हैं।
  •  यहां एक छोटा टैंक है जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है।

 कैसे पहुंचे - How to reach:

निकटतम हवाई अड्डा जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, पटना निकटतम रेलवे स्टेशन हाजीपुर जंक्शन, बिहार 41 किमी है। सड़क मार्ग के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

अशोक चक्र की सभी तीलियों का अर्थ - Meaning of stick in Ashok Chakra in Hindi:

  • पहली तिली : संयम (संयमित रूप जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
  • दूसरी तिली : आरोग्य ( बिना किसी रोग के  जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है )
  • तीसरी तिली : शांती ( देश में शांति का वातावरण बना रहे )
  • चौथी तिली : त्याग (देश एवं समाज के  प्रति त्याग की भावना)
  • पांचवी तिली : शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
  • छठवीं तिली : सेवा ( देश एवं समाज मे सेवा की भावना)
  • सातवीं तिली : क्षमा ( मनुष्य मे  क्षमा की भावना का विकास करना)
  • आठवीं तिली : प्रेम ( देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना )
  • नौवीं तिली : मैत्री ( समाज में  मैत्रीपूर्ण जीवन जीना)
  • दसवीं तिली : बंधुत्व ( देश प्रेम एवं बंधुत्व  की भावना का विकास करना)
  • ग्यारहवीं तिली : संघठन ( राष्ट्र की एकता  और अखंडता को मजबूत बनाना)
  • बारहवी तिली : कल्याण ( देश एवं समाज के लिए कल्याणकारी भावनाओं का विकास करना)
  • तेरहवीं तिली : समृद्धि ( देश एवं समाज  की समृद्धि में अपना योगदान देना)
  • चौदहवीं तिली : उद्योग ( देश की  औद्योगिक क्षेत्र में विकास करना)
  • पंद्रहवीं तिली : सुरक्षा ( देश की सुरक्षा  के लिए सदैव तत्पर रहना)
  • सोलहवीं तिली : नियम ( निजी जिंदगी में  नियम संयम बनाए रखना ) 
  • सत्रहवीं तिली : समता ( समता मूलक समाज की स्थापना करना )
  • अठारवीं तिली : अर्थ ( धन का  दुरुपयोग ना करके सदुपयोग करना)
  • उन्नीसवीं तिली : नीति ( देश के नीति के प्रति निष्ठा रखना )
  • बीसवीं तिली : न्याय ( सभी के लिए न्याय  बराबर होना )
  • इक्कीसवीं तिली : सहयोग ( आपस में मिल जुलकर  कार्य करते हुए सहयोग करना) 
  • बाईसवीं तिली : कर्तव्य ( अपने कर्तव्यों  ईमानदारी पूर्वक पालन करना)
  • तेईसवी तिली : अधिकार ( अधिकारों का  सदुपयोग करना)
  • चौबीसवीं तिली : बुद्धिमत्ता ( देश की समृद्धि के लिए का बौद्धिक विकास करना)

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई अशोक स्तंभ की संपूर्ण जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी।